बिना बिल के 17 लाख का माल पकड़ा, 45 लाख का लगाया जुर्माना
हरिद्वार। ज्वालापुर क्षेत्र में टैक्स चोरी कर सरकार को लाखों का चूना लगाने वाले तंबाकू कारोबारी पर जीएटी की टीम ने बड़ी कार्रवाई की है। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच की टीम ने छापेमारी के दौरान बिना टैक्स भुगतान कर मंगाया गया माल पकड़ा है। टीम ने करीब चार घंटे की कारवाई के बाद इस माल को सीज कर अपने कब्जे में ले लिया है।
दरअसल, ज्वालापुर के मोहल्ला चौहाना में दीपक सेल नाम की एक बड़ी तंबाकू कारोबारी का फर्म है। जीएसटी विभाग की एसआईबी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच) को बीते कुछ समय से सूचना मिल रही थी कि इस फर्म में लाखों रुपए का बिना बिल का माल सप्लाई किया जा रहा है। इस गुप्त सूचना के आधार पर एसआईबी की ज्वाइंट कमिश्नर सुनीता पांडे और डिप्टी घ्कमिश्नर कार्तिकेय वर्मा ने टीम के साथ छापेमारी की।
छापेमारी के दौरान गोदाम से बिना बिल के सफल तंबाकू के 115 बोरे मिले हैं। जिसकी बाजारी कीमत करीब 17 लाख रुपए है। फर्म स्वामी पकड़े गए इस माल के कोई बिल या उसपर किए गए कर भुगतान का कागज पेश नहीं कर पाया। जिसके बाद टीम ने इस माल को जब्त कर सीज कर दिया है।
कर चोरी के इस माल को पकड़ने के लिए एसआईबी की यह विशेष टीम सुबह छह बजे से ज्वापपुर के मोहल्ला चौहाना में डेरा डाले बैठी हुई थी। दुकान सुबह नौ बजे जैसे ही खुली टीम ने छापा मार दिया। करीब चार घंटे चली छापेमारी के बाद टीम ने कर चोरी कर लाए गए माल की डिटेल तैयार कर उसे जब्त कर लिया।
विभाग की ओर से पकड़े गए इस माल की कीमत भले ही 17 लाख हो, लेकिन इस पर 100 प्रतिशत पेनल्टी, टैक्स व सेस जोड़कर करीब 43 लाख का भुगतान करने पर ही व्यापारी अपना माल छुड़वा पाएगा।
एसआईबी की निगाह क्षेत्र की कई बोगस फर्मों पर भी है, जो सिर्फ आईटीसी का लाभ लेने के लिए ही बनाई गई हैं। वास्तव में ये फर्म सिर्फ कागजों पर बनाई जाती हैं, जबकि हकीकत में यह कोई व्यापार ही नहीं करती।
आईटीसी का लाभ लेने के बाद इन फर्मों को बंद कर दिया जाता है। विशेष तौर पर लोहे का काम करने वाली ऐसी चार फर्म पकड़ में आ चुकी हैं, जिन्होंने करीब पांच करोड़ का काम किया हुआ है, पर टैक्स नहीं दिया।
एसआईबी के डिप्टी कमिश्नर कार्तिकेय वर्मा ने बताया कि टीम को व्यापारिक प्रतिष्ठान से करीब 17 लाख रुपए का ऐसा गुटखा मिला है, जिस पर कर का भुगतान नहीं किया गया था। कर चोरी के इस माल पर विभाग अब शत-प्रतिशत पेनल्टी एवं टैक्स लगाएगा। जिसके बाद व्यापारी को अब माल छुड़ाने के लिए करीब 45 लाख रुपए विभाग में जमा कराने होंगे। उसके बाद ही पकड़ा गया माल छूट पाएगा।