फेसबुक विवाद पर भाजपा और कांग्रेस में टकराव बढ़ गया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति के समक्ष फेसबुक अधिकारियों को तलब करने की बात कही है। थरूर इस समिति के अध्यक्ष हैं। भाजपा ने थरूर के बयान पर कहा है कि समिति अपने सदस्यों से विचार विमर्श करने के बाद ही कोई फैसला कर सकती है।
थरूर ने ट्वीट किया कि संसद की स्थायी समिति निश्चित रूप से इन रिपोर्टों के बारे में फेसबुक का जवाब जानना चाहती है। समिति यह जानना चाहती है कि भारत में हेट स्पीच को लेकर उनका क्या रुख है। थरूर ने कहा है कि हमारी संसदीय समिति सामान्य मामलों में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक/ऑनलाइन न्यूज मीडिया प्लेटफार्मों के दुरुपयोग को रोकने के तहत बयान पर विचार करेगी। यह विषय समिति के अधिकार क्षेत्र में है और पिछले दिनों फेसबुक को तलब किया गया था।
नियमों के तहत उठाए जा सकते हैं मुद्दे: भाजपा
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि स्थायी समिति के अध्यक्ष थरूर के पास अपने सदस्य के साथ एजेंडा की चर्चा के बिना कुछ भी करने का अधिकार नहीं है। ये मुद्दे संसदीय समिति के नियमों के मुताबिक उठाए जा सकते हैं।
तृणमूल सांसद भी जंग में कूदीं
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने थरूर का बचाव किया। उन्होंने कहा कि कब किस एजेंडे को रखना है और किसे तलब करना है यह संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष का अधिकार है। समिति के एजेंडे पर पहले ही सहमति बना ली गई थी और उसे स्पीकर की अनुमति के साथ वर्ष की शुरुआत में ही तय कर लिया गया था। थरूर ने मोइत्रा के ट्वीट का आभार जताते हुए कहा, “आप एकदम सही हैं। भाजपा सांसद ने समिति को आरोपों के घेरे में खड़ा किया है, यह मुद्दा मैं उठाऊंगा। अचरज है कि जनहित के इस असाधारण मुद्दे पर एक सांसद यह कह रहा है कि इसे नहीं उठाया जाना चाहिए।” थरूर को जवाब देते हुए दुबे ने कहा कि वक्त बताएगा कि किसने समिति को अहमियत कम करने की कोशिश की है।