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विवादित भूमि पर दिवार बनाने के चलते हुआ टकराव, पहले पक्ष का कहना है कि जमीन हमने 7 वर्ष पहले खरीदीं थी

झिंझाना। कस्बे के ग्राम जमालपुर रकबे में 7 बीघा विवादित भूमि पर शुक्रवार को बाउंड्री वॉल निर्माण को लेकर दो पक्ष फिर आमने-सामने आ गए। यह वही जमीन है जिस पर एक सप्ताह पूर्व पुराने बैनामा धारकों के निर्माण को प्रशासन ने जेसीबी से हटवा दिया था।

31 जुलाई को प्लॉट खरीदारों ने एडीएम शामली को पत्र देकर लेखपाल लवकेश और अर्पित संघल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उनका आरोप है कि कि 2018 में खरीदी गई भूमि पर बिना नोटिस निर्माण तुड़वाया गया और पुलिस दबाव बनाया गया, जबकि उनका बैनामा अर्पित से 7 वर्ष पुराना है। उन्होंने अर्पित को भूमाफिया बताते हुए अधिकारियों से मिलीभगत का भी आरोप लगाया।

4 अगस्त को इसी भूमि पर दोनों पक्षों में लाठी-डंडे चले थे। अर्पित ने 6 नामजद और 15 अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। वहीं, अमित कुमार ने दावा किया कि अर्पित ने धोखाधड़ी से बैनामा अपने नाम कराया, जबकि अर्पित का कहना है कि उसने वर्ष 2025 में वैध बैनामे से यह भूमि खरीदी और उसी की चारदीवारी कर रहा है। अब सवाल ये है कि जब यह भूमि वर्ष 2018 में पहले पक्ष द्वारा खरीदी जा चूकी है तो वर्ष 2025 में इसका दौबारा बैनामा कैसे हो गया ? क्या एडीएम के आदेश से बिना नोटिस दिए दीवार गिराई गई ? अगर एसडीएम महोदया ने कोई आदेश जारी नहीं किए थे, तो प्रश्न ये उठता है कि किसके आदेश पर झिंझाना पुलिस या प्रशासन ने 7 साल पुराने कब्जाधारियों से कब्जा मुक्त कराया ? वर्ष 2018 में खरीदी भूमि 2025 में कैसे विवादित भूमि हो गई ? ये यक्ष प्रश्न मुंह बायें खड़ा हैं क्या इस प्रश्न का कोई जवाब देगा। क्या प्रशासन इस विवाद में दूसरी पार्टी बनना चाहता है ? जब जमीन का बैनामा 2018 में हो चुका था। तो 2025 में जमीन खरीदने वाले अर्पित संघल का बैनामा कैसे हो गया ? पहले पक्ष अमित कुमार संघल का कहना है कि सभी कागजात हमारे पास है किन्तु हमारी सुनवाई नहीं हुई। बल्कि दबाव बना कर हमारे विरुद्ध कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि अर्पित संघल अपनी भूमि की चारदीवारी कर रहा था। डायल-112 की सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शांति व्यवस्था कायम कर दी।

रिर्पोट : सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी दिल्ली एनसीआर।

 

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