एक ही समस्या को लेकर सांसद को सात बार पत्र लिखने के बावजूद आठवीं बार स्वयं पत्र लेकर जाना पड़ा

2
1851

बागपत | रेलवे या प्रशासन की लापरवाही और तानाशाही के शिकार सामान्य जन ही नहीं जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भी होते रहे हैं |

ये अधिकारी ,जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर कितना जल्दी संज्ञान लेते हैं, इसका अंदाजा ,सांसद डा सत्यपाल सिंह के आक्रोश भरे पत्र से हो जाएगा |

अपने चेहरे पर हमेशा मुस्कान और धैर्यवान सांसद डा सत्यपाल सिंह ने उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल को लिखे पत्र में बताया कि वे तीन वर्षों से लगातार पत्र लिख रहे हैं, कार्यवाही और जवाब का इंतजार करते रहे हैं , लेकिन कार्यवाही तो दूर की बात, पत्र का जवाब तक नहीं मिला |

क्रम चलना शुरू हुआ वर्ष 2018 में फरवरी से और अगस्त में दुबारा पत्र लिखा गया | पुनः इसी संदर्भ में वर्ष 2019 में भी सांसद डॉ सत्यपाल सिंह ने पत्र लिखा और समस्या का समाधान चाहा | फरवरी 2021 से लगातार पांच पत्र लिख चुके हैं, पर महाप्रबंधक ने समस्या के समाधान और जवाब देने तक में कोई रुचि नहीं दिखाई |

इतना तो तब है जबकि सांसद महोदय महाप्रबंधक से कोई अपना कार्य नहीं करा रहे हैं,बल्कि अपने क्षेत्र में दिल्ली सहारनपुर रेलवे लाइन पर बने अंडरपास संख्या 56 व 57 के अधूरा होने के कारण शीघ्र पूर्ण कराने और गुणवत्ता पूर्ण सामग्री लगवाने की मांग से सम्बन्धित हैं |
इसी क्रम में सांसद डा सत्यपाल सिंह ने मांगपत्र के साथ स्वयं भेंट करते हुए जिवाना गांव के हाल्ट के लिए भी जोरदार मांग रखी |

हो सकता है सांसद डा सत्यपाल सिंह की शालीनता भरे इन पत्रों को रेलवे के उच्चाधिकारी सामान्य प्रक्रिया में ले रहे हों, लेकिन क्षेत्र की जनता उनके एक इशारे पर बहुत अच्छी तरह से सबक सिखाना भी जानती है, यह कहना है विकास पुरुष के रूप में सम्मानित सांसद के चाहने वालों का |

रिर्पोट  :-  सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी उत्तर प्रदेश।

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here