उत्तराखण्ड की नियति बनी राजनैतिक अस्थिरता

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तिवारी को छोड कोई भी मुख्यमंत्री नही चला सका पांच साल शासन
अब धामी को पहनाया गया कांटो भरा ताज
                    ‘ जो आज साहिबे मसनद हैं, कल नही होंगे’
                   ‘ किरायदार हैं, कोई जाती मकान थोड़े ही हैं ’
देहरादून। उत्तराखण्ड की सियासत में राजनैतिक अस्थिरता कोई नई बात नही हैं, अपने गठन से ही यह पर्वतीय प्रदेश पार्टी हाईकमान की ओर से चेहरा (मुख्यमंत्री) बदलने का साक्षी रहा है। मगर कोई भी पार्टी यहां चेहरा बदल कर चुनावी नय्या पार नही लगा सकी है। भाजपा ने पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटा कर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था, संवैधानिक संकट का हवाला देकर तीरथ सिंह रावत भी विदा हो गये, अब युवा चेहरे पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना तो दिया है, उनके सामने 6-7 माह के कार्यकाल में इतिहास बदलने की चुनौती होगी।
विगत 20 वर्षो में उत्तराखण्ड की जनता 12 मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल देख चुकी है। विकास पुरुष कहे जाने वाले पंड़ित नारायण दत्त तिवारी (2002 से 2007 तक-1832 दिन) के अलावा कोई भी मुख्यमंत्री यहा अपना कार्यकाल पूरा नही कर सका है। चुनावी साल के आगाज में ही भाजपा ने मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा बदल था। त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी गई थी, मगर चार माह में ही तीरथ सिंह को भी पद छोड़ना पड़ा। प्रदेश में अब तक बने मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल पर नजर डाले तो नारायण दत्त तिवारी सर्वाधिक 1832 व तीरथ सिंह रावत सबसे कम 115 दिन मुख्यमंत्री रहे। पहले यह रिकार्ड भगत सिंह कोश्यारी 123 दिन के नाम था। राज्य में 44 दिन राष्ट्रपति शासन भी लगा है। तीरथ ने बीते दिवस सियासी उठापटक के बाद अपने कार्यकाल के 114 वें दिन इस्तीफा दे दिया था। भाजपा हाईकमान ने नए मुख्यमंत्री धामी को कांटो भरा ताज पहनाया है, उनके पास महज 7 माह से भी कम का वक्त है। धामी को अपने युवा जोश, सियासी काबिलियत का प्रदर्शन करना होगा। अगर पुष्कर सिंह धामी 2022 में भाजपा को फिर से सत्ता में ले आते हैं तो ऐसा करने वाले वह पहले मुख्यमंत्री होंगे। क्यूंकी अभी तक कोई भी मुख्यमंत्री अपनी पार्टी को सत्ता में वापसी नही करा सका है। उत्तराखंड के 21 साल के इतिहास में आज तक कोई भी पार्टी अपनी सत्ता बचा नहीं पाई है। भगत सिंह कोश्यारी के दौर से शुरू हुआ यह सिलसिला नारायण दत्त तिवारी-बीसी खंडूड़ी से होते हुए हरीश रावत के दौर तक कायम रहा है।

गुटबाजी को संभालना-क्षत्रपों को एकजुट रखना चुनौती
देहरादून। भाजपा ने तीरथ को हटा कर युवा पुष्कर सिंह धामी को सीएम बना तो दिया है, मगर उनके सामने चुनौतियों का पहाड खड़ा हुआ नजर आ रहा है।
सरकार-शासन व प्रशासन को साधने के साथ-साथ पार्टी में फिर से पनपी गुटबाजी को संभालना और क्षत्रपों को एकजुट रख के चुनाव फतह कराना कहीं से भी उनके लिये आसान नजर नही आ रहा है। सियासी जानकारों का कहना है कि शासन चलाने के हुनर से अनजान धामी को सरकार के संसाधनों को समझने में ही 3-4 माह का समय लग जाएगा। धामी कभी मंत्री भी नही रहे, इस लिहाज से भी उनहे अफसरों के साथ जूझना होगा।

महाराज-हरक, भट्ट-धन सिंह फिर मायूस
देहरादून। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश के संसदीय इतिहास में सबसे बड़ी जीत दर्ज की। 70 विधानसभा सीटों में 57 सीटें भाजपा की झोली में आई। मोदी लहर के साथ सत्ता में आई भाजपा ने संघ के करीबी रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रदेश की कमान सौंपी। पार्टी के अंदर सत्ता संघर्ष जारी रहा। कांग्रेस से आये बागियों को मंत्रीमंडल में ज्यादा तवज्जोह मिलने, विधायकों की बात न सुनने के आरोप त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे, त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस्तीफा देना पड़ा। त्रिवेंद्र के स्थान पर पहले तीरथ और अब तीरथ के स्थान पर धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया।  जबकि डॉ. निशंक, अनिल बलूनी, सतपाल महाराज, डॉ. धन सिंह रावत, अजय भट्ट के नामों की चर्चाए आम थी।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और उनका कार्यकाल
नित्यानन्द स्वामी-9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक (354 दिन)
भगत सिंह कोश्यारी-30 अक्टूबर 2001 से एक मार्च 2002 तक (123 दिन)
नारायण दत्त तिवारी-2 मार्च 2002 से 7 मार्च 2007 तक (1832 दिन)
भुवन चन्द्र खंडूड़ी-8 मार्च 2007 से 23 जून, 2009 तक (839 दिन) प्रथम कार्यकाल
रमेश पोखरियाल निशंक-24 जून 2009 से 10 सितंबर 2011 तक (808 दिन)
भुवन चन्द्र खंडूड़ी-11 सितंबर 2011 से 13 मार्च 2012 तक (185 दिन) (एक कार्यकाल में दूसरी बार)
विजय बहुगुणा-13 मार्च 2012 से 31 जनवरी 2014 तक ( 690 दिन)
हरीश रावत-1 फरवरी 2014 से 27 मार्च 2016 तक ( 785 दिन) प्रथम कार्यकाल
राष्ट्रपति शासन- 27 मार्च 2014 से 21 अप्रेल 2016 तक ( 25 दिन)
हरीश रावत-21 अप्रेल 2016 से 22 अप्रेल 2016 तक (1 दिन ) दूसरा कार्यकाल
राष्ट्रपति शासन- 22 मार्च 2016 से 11 मई 2016 तक ( 19 दिन)
हरीश रावत-11 मई 2016 से 18 मार्च 2017 तक (311 दिन ) तीसरा कार्यकाल
त्रिवेंद्र सिंह रावत-18 मार्च 2017 से 10 मार्च 2021 तक (1449 दिन)
तीरथ सिंह रावत-10 मार्च 2021 से 02 जुलाई 2021 तक (115 दिन)

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