दक्षिणी राज्यों की तर्ज पर हो उत्तराखंड में भू सुधार हरीश रावत

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देहरादून:  पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश में भू.सुधार के लिए दक्षिण के राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन किया जाना चाहिए। कर्नाटक की सरकार के भू.कानून माॅडल की बात करते हुए उन्होंने कहा कि यहां भी उनकी तरह इसे बड़े पैमाने पर लागू करने की आवश्यकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर उनके द्वारा की गई पोस्ट में कहा कि में भू.कानून अब प्रदेश में नौजवानों की चर्चा का हिस्सा बन चुका है। और नौलवान इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी कर रहे हैं। ऐसे में भू सुधार कानून को प्रमुखता दी जानी चाहिए।

पूर्व सीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने 2016 में नया भू.कानून पर्वतीय क्षेत्रों की खेती की चकबंदी को बनाया था। कानून को क्रियान्वित करने तक चुनाव आ गए। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने भू सुधार को प्रमुखता दी थी। उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर जमीनों पर लोग काबिज थे। उन्हें मालिकाना हक देने का फैसला किया।

तराई में भिन्न तरह के भू.प्रकार थे, उन्हें समाप्त कर जमीनों का नियमितीकरण किया गया था। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भू कानून को समझने वालों की संख्या कम होती जा रही है। ऐसे अधिवक्ताओं की संख्या कम हो रही है, जिन्हें उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, गढ़वाल व कुमाऊं के राजस्व कानून की समझ हो। इस दिशा में जितना पुष्ट तरीके से कदम बढ़ाए जाएंगे, भविष्य के लिए उतना बेहतर होगा।