चमोली: आपदा के सात दिन बाद भी नीती घाटी के अलग-थलग पड़े 13 गांवों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। गांवों को जोड़ने वाले मलारी हाईवे के क्षतिग्रस्त होने से गांवों का संपर्क अभी भी देश-दुनिया से कटा है। वह अन्य गांवों तक नहीं जा पा रहे हैं। गांव के अंदर ही जाने के लिए अब वाहनों में पेट्रोल भी खत्म हो गया है। ग्रामीण अब पूरी तरह प्रशासन की मदद के भरोसे ही बैठे हैं।
7 फरवरी को ऋषि गंगा की बाढ़ में मलारी हाईवे रैणी गांव के पास 90 मीटर मोटर पुल बह गया था। तब से नीती घाटी के 13 गांवों का संपर्क कटा है। ग्रामीणों की आवाजाही के लिए यह सड़क ही एकमात्र साधन थी। सड़क न होने से नीती घाटी में कई ग्रामीणों के वाहन भी फंसे हैं।
शुरुआत के दो-तीन दिन ग्रामीणों ने गांव के आसपास इन्हीं वाहनों से आवाजाही की, लेकिन अब वाहनों में तेल भी खत्म हो गया है, जिससे ग्रामीण कहीं आ जा नहीं पा रहे हैं। गांव में फंसे लोग गांव में ही रहने को मजबूर हैं। पल्ली रैणी, लाता, पैंग मुरंडा, तोलमा, जुग्जु, जुवा ग्वाड़, लौंग, तमक सहित भंग्यूल गांव के ग्रामीण सड़क मार्ग के खुलने का इंतजार कर रहे हैं।
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