रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग जिले के रानीगढ़ पट्टी के जसोली गांव स्थित सिद्धपीठ हरियाली देवी की ऐतिहासिक कांठा यात्रा दीपावली से एक दिन पूर्व रात्रि को निकाली गई। इस अवसर पर हरियाली देवी की डोली को फूल-मालाओं से सजाया गया। रजत प्रतिमा के साथ शाम को जसोली मंदिर से मां हरियाली देवी के मायके हरियाल पर्वत के लिए यात्रा रवाना की गयी। यह यात्रा रात के समय की गई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
विगत वर्षों की भांति इस बार भी सिद्धपीठ हरियाली देवी की यात्रा का आगाज दीपावली से एक दिन पूर्व किया गया। यात्रा को लेकर स्थानीय ग्रामीणों से लेकर प्रवासियों में खासा उत्साह देखा गया। हरियाली देवी योगमाया का बालस्वरूप है जो कि शुद्ध स्वरूप में वैष्णवी हैं।
यात्रा में जसोली गांव की महिलाओं द्वारा मांगलिक गायनों के साथ हरियाली देवी की डोली को नम आखों से हरियाली पर्वत की ओर विदा किया गया। ढोल दमाऊ तथा शंख की ध्वनि के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी में जसोली गांव से हरियाली देवी की डोली हरियाल पर्वत की ओर रवाना हुई।
हरियाल पर्वत मां हरियाली देवी का मूल उत्पत्ति स्थान है, जिसको देवी का मायका माना जाता है। मूल मायका होने के कारण साल में एक बार दीपावली पर्व पर मां हरियाली की डोली को हरियाल पर्वत ले जाने की यह पौराणिक परंपरा है, जिसको हरियाली देवी कांठा यात्रा का स्वरूप दिया गया है। यात्रा के दौरान देवी के धर्म भाई हीत और लाटू के निशान हरियाली देवी डोली की अगुवाई की। देश की यह एक मात्र ऐतिहासिक देव यात्रा है जो रात के पहर में की जाती है, जो लोगों की अगाध आस्था का केंद्र है।
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