उत्तराखण्ड

सड़क किनारे पड़ी रोड़ी बन रही है लोगों के लिए मुसीबत

देहरादून। दून में टूटी-फूटी सड़कें जितनी दुखदायी हैं उससे भी ज्यादा तकलीफ सड़कों के संकरी होने से हो रही है। कई जगहों पर सड़कों को खोदने के बाद जिस तरह से छोड़ा गया था उससे ही लोग परेशान थे उस पर अब रोड के किनारे रोड़ी के ढेर लगा कर सड़क में लोगों का चलना ही दुश्वार कर दिया है।
दून में चल रहे स्मार्ट सिटी के काम के कारण सड़कों की दुर्दशा हो रखी है। कहीं खुदी हुई सड़कों के कारण लोग चोटिल हो रहे हैं तो कहीं गाड़ियां धंस रही है। अभी पिछले दिनों परेड ग्राउण्ड में तिब्बती मार्केट की ओर रोड खुदी होने के कारण साइड से निकल रहा नगर निगम का ट्रक नाली में घुस गया था। एक तो रोड खुदी होने के कारण मार्ग वैसे ही उबड़-खाबड़ हो रखा है उस पर भारीभरकम ट्रक जब वहां से गुजरने लगा तो उसका एक तरफ का टायर नाली में घुस गया। इसी तरह से शहर की अन्य सड़कों के भी हालात हैं। देखा जाए तो शायद ही कोई ऐसी सड़क होगी जिस पर चलते हुए लोगों को राहत महसूस हो।
इसी तरह का हाल बुद्धा चैक से दर्शनलाल चैक तक आने वाली सड़क का है। यहां पर यातायात का दबाव काफी अधिक रहता है। मार्ग छोटा होने के कारण इस तरफ हमेशा ही जाम की स्थिति रहती है। उस पर कुछ दिन पहले यहां पर सड़क खोदी गई थी। इस मार्ग को खोदने के बाद खानापूर्ति के लिए भर तो दिया गया था लेकिन चलने लायक सड़क नहीं बन पाई। जिसकी वजह से एक ही लाइन गाड़ियों की चल रही थी जिसकी वजह से इतना छोटा सा सफर तय करने में लोगों का काफी समय जाया हो रहा था।
वहीं अब इस सड़क के किनारे संबंधित कार्यदायी एजेंसी ने रोड़ियों के ढेर लगा दिये हैं जिसके कारण वाहनों का गुजरना भी मुश्किल हो रहा है। यह रोड़ी सड़क तक फैल रही है जिसकी वजह से दुपहिया वाहन इन रोड़ियों पर फिसल कर अनियंत्रित हो रहे हैं। सुबह के समय तो लोग वैसे भी दफ्तर जाने की आपाधापी में रहते हैं उस पर सड़क किनारे लगे रोड़ी के ढेर ने लोगों की मुसीबत और बढ़ा दी है। अब तक तो दुपहिया वाहन चालक इस खुदी हुई सड़क से जैसेकृतैसे किनारे से वाहन निकाल रहे थे लेकिन अब उनके लिए और मुसीबत खड़ी हो गई है। चैपहिया वाहन के पीछे चलने के चक्कर में उनका भी समय बर्बाद हो रहा है वहीं बुद्धा चैक से दर्शन लाल चैक तक पहुंचने में तेल भी बर्बाद भी हो रहा है और इतनी देर में दो या तीन बार रेड लाइट भी हो जा रही है।

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2 Comments

  1. Автор старается не вмешиваться в оценку информации, чтобы читатели могли сами проанализировать и сделать выводы.

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