कोविड के नाम पर धंधाः एयरपोर्ट पर वसूले जा रहे हैं दो हजार रूपये

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देहरादून:  उत्तराखण्ड में एक तरफ जहां मुख्यमंत्री से लेकर डीएम तक कह रहे हैं कि उत्तराखण्ड में आने वाले पर्यटकों को केवल स्मार्ट सिटी पोर्टल में पंजीकरण कराना है। कोविड टेस्ट जरूरी नहीं है। वहीं दूसरी ओर जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर यात्रियों और पर्यटकों को जबरन कोविड टेस्ट कराने के लिए कहा जा रहा है। वहीं टेस्ट के लिए निर्धारित शुल्क की बजाय दो हजार रूपये वसूले जा रहे हैं। कोविड टेस्ट कराने से इंकार करने पर यात्रियों से इस बारे में लिख कर देने के लिए कहा जा रहा है।

जानकारी के अनुसार जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर जब बंगलौर की फ्लाइट आई तो उसमें उतरे यात्रियों को वहां मौजूद लैब कर्मियों ने कोविड टेस्ट कराने को कहा। इस पर कुछ लोगों ने इंकार किया तो लैब कर्मचारी उनके पीछे पड़ गये कि कोरोना टेस्ट कराये बिना वे वहां से बाहर नहीं जा सकते हैं। इसी तरह से एक युवती को भी लैब कर्मचारियों ने कोविड टेस्ट कराने के लिए कहा। कोविड टेस्ट के लिए शुल्क भी निर्धारित किया गया है लेकिन यहां पर दो हजार रफपये कोविड टेस्ट के नाम पर लिए जा रहे हैं। इस पर युवती ने कहा कि जब केन्द्र सरकार ने कोविड टेस्ट नहीं कराने के लिए गाइड लाइन जारी कर दी है तो फिर कोविड टेस्ट क्यों कराया जा रहा है। इस पर कर्मचारियों ने कोविड टेस्ट कराना जरूरी बताया। कर्मचारियों ने कहा कि कोविड टेस्ट के बिना यहां से जाने की अनुमति नहीं है।

इस पर युवती ने साफ कह दिया कि नहीं जाने देंगे तो वहीं पर बैठी है। लेकिन कोविड टेस्ट नहीं कराएगी। उसका कहना कि उत्तराखण्ड में भी सरकार की ओर आदेश हैं कि प्रदेश में आने वाले यात्रियों के लिए कोविड टेस्ट कराना अनिवार्य नहीं है। प्रदेश में आने वालों को स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण कराना जरूरी है। जब उन्होंने पोर्टल में पंजीकरण करवाया हुआ है तो कोविड टेस्ट के लिए जबरदस्ती क्यों की जा रही है। इसके बावजूद कर्मचारी इस हद तक उतर आए कि युवती से फार्म में साइन करने के लिए कहा गया जिसके अनुसार युवती ने यह डिक्लेयर करना था कि वे अपनी इच्छा से कोविड टेस्ट नहीं करवा रही है।

उत्तराखण्ड में कोविड टेस्ट को लेकर कोई न कोई झमेला रोज ही सामने आ रहा है। कहीं कोविड संक्रमण से मरे मरीजों को अस्पताल से श्मशान घाट तक लेजाने और अंतिम संस्कार करने का पैकेज तय हो रहा है तो कहीं कोविड से मरने वालों के आंकड़े छुपाये जा रहे हैं। और अब कोविड के नाम पर लोगों को लूटने का यह धंधा भी रूकने का नाम नहीं ले रहा है। जबकि यह केन्द्र सरकार की गाइडलाइन आने के बाद प्रदेश सरकार ने भी यह साफ कर दिया था कि प्रदेश में आने वाले लोगों के लिए कोविड टेस्ट कराना अनिवार्य नहीं है। उनके लिए केवल स्मार्ट सिटी पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इसके बावजूद एयरपोर्ट पर कोविड टेस्ट के लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा है और इसकी फीस के नाम पर दो हजार रफपये वसूले जा रहे हैं। यह सब जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर हो रहा है।

सरकार की नाक के नीचे चल रहे इस खेल को देख कर भी अनदेखा किया जा रहा है। यहां तक इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है कि इन कर्मचारियों को किसने यहां पर बैठाया है और किस लैब के कर्मचारी हैं।

उत्तराखण्ड में एक ओर तो सरकार अतिथि देवो भवः की तर्ज पर पर्यटकों और यात्रियों की आवभगत की बात कहती है तो वहीं दूसरी ओर एयरपोर्ट पर यात्रियों के साथ इस तरह का सुलूक किया जा रहा है। एयरपोर्ट पर इस तरह की लूटखसोट से देवभूमि की छवि भी धूमिल हो रही है।