धर्म-कर्म

नवरात्रि पर विंध्याचल में कराएं दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ पाएं अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य

पूजा के शुभ फल –

  • शत्रुओं का भय दूर होता है।
  • ग्रहों के कारण आ रही बुरी दशाएं समाप्त होती हैं।
  • धन आने के रास्ते खुलते हैं।
  • दीर्घायु, चतुर्रयता प्राप्त होती है।
  • नजर दोष दूर होता है।

विंध्याचल 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसकी खासियत है कि यहां पर तीन किलोमीटर के दायरे में तीनों देवियां विराजति हैं। यहां पर केंद्र में कालीखोह पहाड़ी है, जहां मां विंध्यवासिनी विराजमान हैं। तो वहीं मां अष्टभुजा और मां महाकाली दूसरी पहाड़ी पर विराजमान हैं। अन्य शक्तिपीठों पर मां के अलग-अलग अंगो की प्रतीक के रूप में पूजा होती है लेकिन विंध्याचल एकमात्र ऐसा स्थान है जहां मां के संपूर्ण विग्रह के दर्शन होते हैं। यह पूर्ण पीठ कहलाता है। चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र में यहां लाखों श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं। मां अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ अश्वमेघ यज्ञ के समान माना गया है। दुर्गा सहस्त्रनाम में मां दुर्गा के 1000 नामों का जाप किया जाता है। इसका पाठन और श्रवण करने वाले को समस्त दुखों और नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। कष्टों से मुक्ति पाने का यह बहुत ही आसान उपाय है। इसका पाठ करनेे से जीवन में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं। जीवन में आनंद और शांति आती है। विंध्याचल 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसकी खासियत है कि यहां पर तीन किलोमीटर के दायरे में तीनों देवियां विराजति हैं। यहां पर केंद्र में कालीखोह पहाड़ी है, जहां मां विंध्यवासिनी विराजमान हैं। तो वहीं मां अष्टभुजा और मां महाकाली दूसरी पहाड़ी पर विराजमान हैं। अन्य शक्तिपीठों पर मां के अलग-अलग अंगो की प्रतीक के रूप में पूजा होती है लेकिन विंध्याचल एकमात्र ऐसा स्थान है जहां मां के संपूर्ण विग्रह के दर्शन होते हैं। यह पूर्ण पीठ कहलाता है। चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र में यहां लाखों श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं। मां अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।

प्रसाद-

  • पंचमेवा
  • माता की तस्वीर
  • श्रृंगार

Related Articles

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button