उत्तराखण्ड

द्रोणनगरी में हरितालिका तीज का उल्लास

देहरादून। द्रोणनगरी में आज हरितालिका तीज का उल्लास रहा। सुहागिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रख कर भगवान शिव और पार्वती का पूजन किया।

भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनायी जाने वाली हरितालिका तीज को सबसे बड़ी तीज माना जाता है। इस दिन को भगवान शंकर और पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है। सुहागिन महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रख कर अपने पति के दीर्घायु और स्वस्थ जीवन के साथ ही अखंड सुहाग की कामना करती हैं। हरितालिका जीत पर शिव-पार्वती पूजन के लिए मंडप तैयार कर विभिन्न प्रकार के फूलकृपातियों से सजाया जाता है।

इस मंडल में रेत का शिवलिंग बना कर अखण्ड दिया जलाया जाता है। भगवार शिव को प्रिय सभी प्रकार की पातियों ारके मंडप में रखना शुभ माना जाता है। तीज के अवसर पर हर बार बड़े स्तर पर मंडल बना कर महिलाएं सामुहिक पूजन भी करती हैं लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते बड़े आयोजन नहीं हो रहे हैं। हरितालिका तीज पर तृतीया तिथि में माता पार्वती ने घने जंगल में भगवान शिव का रेत का शिवलिंग बना कर उनका ध्यान किया था। जिस पर उन्होंने प्रसन्न हो कर पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। देवी पार्वती ने इस निर्जला व्रत को करने के साथ ही पूरा दिन पूजन और रात्रि को जागरण किया था। इसी तरह से महिलाएं भी रेत का शिवलिंग बना कर पूजन करती हैं और रात के समय जागरण कर भजन-कीर्तन भी करती हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button